GETTING MY HANUMAN CHALISA TO WORK

Getting My hanuman chalisa To Work

Getting My hanuman chalisa To Work

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Between Hindus around the world, it is a very talked-about belief that chanting the Chalisa invokes Hanuman's divine intervention in grave difficulties.

व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥ साधु सन्त के तुम रखवारे ।

Hanuman leaps and finds the mountain. There, states Ramayana, Hanuman finds the mountain is full of numerous herbs. He will not know which a person to consider. So, he lifts your entire Himalayan mountain and carries it across India to Lanka for Lakshmana. His huge energy Therefore aids Lakshmana Get better from his wound.[sixty] This legend is the favored foundation for that iconography wherever He's proven flying and carrying a mountain on his palm.[61]

भावार्थ – श्री सनक, सनातन, सनन्दन, सनत्कुमार आदि मुनिगण, ब्रह्मा आदि देवगण, नारद, सरस्वती, शेषनाग, यमराज, कुबेर तथा समस्त दिक्पाल भी जब आपका यश कहने में असमर्थ हैं तो फिर (सांसारिक) विद्वान् तथा कवि उसे कैसे कह सकते हैं? अर्थात् आपका यश अवर्णनीय है।

बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार॥

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व्याख्या — श्री हनुमान जी का नाम लेनेमात्र से भूत–पिशाच भाग जाते हैं तथा भूत–प्रेत आदि की बाधा मनुष्य के पास भी नहीं आ सकती। श्री हनुमान जी का नाम लेते ही सारे भय दूर हो जाते हैं।

“He whoever reads these verses on Hanuman, he can get spiritual attainments, Lord Shiva may be the witness to this assertion.”

The Peshwa period rulers in 18th century metropolis of Pune supplied endowments to much more Hanuman temples than to temples of other deities including Shiva, Ganesh or Vitthal. Even in existing time there are actually additional Hanuman temples in the town as well as the district than of other deities.[118]

भावार्थ – भगवान् श्री राघवेन्द्र ने आपकी बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि तुम भाई भरत के समान ही मेरे प्रिय हो ।

सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।

श्री हनुमान आरती

भावार्थ – तपस्वी राम सारे संसार के राजा हैं। [ऐसे सर्वसमर्थ] प्रभु के समस्त कार्यों को आपने ही पूरा किया।

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